आपने सभी देवी देवताओ की तस्वीर जरूर देखी होगी | हिन्दू धर्म मैं हर देवी या देवता किसी न किसी विशेष सवारी पर सवार होतें है | जैसे भगवान श्री गणेश चूहे पर, भगवान विष्णु का वाहन गरुण है और उसी प्रकार माँ दुर्गा भी शेर की सवारी करती है |
माँ दुर्गा ने अपनी सवारी के लिए शेर को ही क्यों चुना इसके पीछे कारण बेहद ख़ास है और एक कथा भी है जो ये बताती है माँ दुर्गा शेर पर सवार क्यों रहती है | आईये जानते है उस कथा के बारें मैं...
पौराणिक कथाओं के अनुसार माता ने भगवान शिव को अपने पति के रूप मैं पाने के वन मैं कठोर तपस्या की, इस कठोर तपस्या के कारण माता का रंग सांवला हो गया था | लेकिन माता की ये तपस्या व्यर्थ नहीं गयी थी और उन्हें अपनी इस तपस्या का फल प्राप्त हुआ और भगवान शिवशंकर के साथ उनका विवाह हो गया |
माता का विवाह भगवान शिव के साथ होने के बाद उनको दो पुत्रो की प्राप्ति हुई एक भगवान श्री गणेश और दूसरे भगवान कार्तिकेय | पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार भगवान शिवशंकर ने माता को काला कह दिया था ये बात माता को अच्छी नहीं लगी और गोरा रंग पाने के कारण माता वन मैं जाकर तपस्या करने लगी |
जब माता पार्वती वन मैं तपस्या कर रही थी तो एक शेर उनके पास आया और माता को तपस्या करते देख वो उनके पास जाकर बैठ गया और वो शेर तब तक माता पार्वती के पास बैठा रहा जब तक माता तपस्या करती रही | उसके बाद भगवान शिव शंकर ने प्रसन्न होकर माता पार्वती को गोरा होने का वरदान दिया | जब माता ने अपनी आँखें खोली तो उनकी नजर पास बैठे शेर पर पड़ी उसके बाद माता ने सोचा की ये शेर भी उनके साथ बैठकर कठिन तपस्या कर रहा था तब माता ने प्रसन्न होकर शेर को अपनी सवारी के लिए चुन लिया था और शेर माता की सवारी बन गया |